राज्य के चार टाइगर रिजर्व में पर्यटन वाहनों के ज्यादा आवागमन पर एनटीसीए की आपत्ति

कान्हा, पन्ना, पेंच और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के संचालकों को पत्र लिखकर वाहनों पर रोकन लगाने के निर्देश दिए 



भोपाल. राज्य के चार टाइगर रिजर्व (कान्हा, पन्ना, पेंच और बांधवगढ़) में तय सीमा से अधिक संख्या में पर्यटन वाहनों को प्रवेश देने के मामले में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने आपत्ति ली है। संस्था ने सीधे टाइगर रिजर्व संचालकों को पत्र लिखकर तत्काल रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को इस मामले में कार्रवाई करने को कहा है। एनटीसीए की नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा है कि फरवरी 2019 में निर्देश देने के बाद भी टाइगर संरक्षित क्षेत्रों में ज्यादा वाहनों की आवाजाही कम नहीं की गई।



 


पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने चारों टाइगर रिजर्व में पर्यटकों को भ्रमण कराने वाले वाहनों की संख्या पिछले साल बढ़ा दी थी। असल में, इस मामले को लेकर 2018 में एनटीसीए से शिकायत की गई थी, इसके बाद एनटीसीए ने 10 दिसंबर 2018 को मप्र चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को इस पर रोक लगाने को कहा था। इस पर वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने चारों टाइगर रिजर्व क्षेत्र संचालकों को आदेश जारी कर पूर्व निर्धारित वाहनों को ही संचालित करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 


वन विभाग पर लगे लापरवाही के आरोप


वन विभाग और टाइगर रिजर्व संचालकों पर आरोप भी लगे कि पर्यटन ऑपरेटर्स के व्यावसायिक हितों की पूर्ति के लिए ये फैसला लिया है, जिससे संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटकों की भीड़ बढ़ गई। इसका असर बाघों के पर्यावास पर पड़ रहा है। पार्कों में वाहनों की संख्या बढ़ाने से पहले स्थानीय सलाहकार समिति से बात नहीं की गई।


पिछले साल बढ़ा दी थी वाहनों की संख्या 


एनटीसीए के उप वन महानिरीक्षक सुरेंद्र मेहरा के पत्र में साफ कहा गया है कि बाघ संरक्षण योजना में परिवर्तन के बिना पार्कों में वाहनों की संख्या नहीं बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए एनटीसीए की अनुमति भी लेना पड़ेगी। ज्ञात हो कि वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने चार पार्कों में वाहनों की संख्या बढ़ाई थी। जबकि सतपुड़ा और संजय दुबरी पार्क में संख्या कम की थी।