बाघों को आबादी से दूर रखने जंगल के भीतर विकसित करेंगे घास के मैदान

Bhopal News बाघ आए दिन जंगल से निकलकर राजधानी के आसपास आबादी तक नजर आ रहे हैं। इन्हें आबादी तक आने से रोकने के लिए जंगल के भीतर घास के मैदान विकसित किए जाएंगे। इसके बाद चीतल, हिरण जैसे शाकाहारी वन्यप्राणियों को छोड़ा जाएगा, ताकि बाघों को भरपूर शिकार मिल सके और वे आबादी तक न पहुंच सकें। यह योजना भोपाल वन वृत्त की है। इस पर काम शुरू हो गया है। भोपाल वन वृत्त के कठौतिया, वीरपुर व रातापानी वन्यजीव अभयारण्य के जंगल में घास के मैदान विकसित किए जाएंगे।


राजधानी से लगे जंगल में 18 बाघ हैं। इनके अलावा औबेदुल्लागंज, सीहोर और रायसेन के जंगल से भी बाघ भोपाल के जंगल में पहुंच रहे हैं। बीते सालों में शावकों का जन्म हुआ है, ये धीरे-धीरे वयस्क हो रहे हैं। इस तरह इनकी आबादी और बढ़ जाएगी। बढ़ती आबादी के हिसाब से भोपाल सामान्य वन मंडल के जंगल में शाकाहारी वन्यजीव हिरण, चीतल, नीलगाय की संख्या कम है। इसके कारण बाघ शिकार के लिए आबादी तक पहुंच रहे हैं। आने वाले सालों में ये घटनाएं बढ़ेंगी। बाघ और मानव के बीच आपसी संघर्ष की नौबत बनेगी।


राजधानी के जंगल में शुरू से बाघ रहे हैं। पूर्व में ये आबादी के आसपास नहीं दिखते थे। 25-26 जनवरी की रात एक बाघ भोज विवि के कैंपस में घुस गया था। साल 2015 में भी एक बाघ नबीबाग तक आया था। उसे खदेड़ने के लिए वन विभाग को 15 दिन तक मशक्कत करनी पड़ी थी।


वन्यप्राणी विशेषज्ञ इन घटनाओं को असामान्य बता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जंगल के भीतर शाकाहारी वन्यप्राणियों की कमी को पूरा करना होगा। आबादी से लगे जंगल से कुछ किलोमीटर अंदर ही घास के मैदान विकसित किए जाएं। ऐसा करने से शाकाहारी वन्यजीवों का मूवमेंट घास के मैदान के आसपास रहेगा। बाघ भी उन्हें क्षेत्रों में शिकार करेंगे, स्वतः ही उनके आबादी तक आने की घटनाएं कम होंगी।


इनका कहना है


भोपाल सामान्य वन मंडल समेत भोपाल वन वृत्त के जंगल के भीतर घास के मैदान विकसित करेंगे, ताकि बाघों का मूवमेंट किसी भी स्थिति में आबादी के आसपास न हो। इस पर काम शुरू कर दिया है।